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श्याम रंगीला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मिमिक्री करके अपनी ख़ास पहचान बनाई है.
किताब में लिखा है कि यहां 'औलिया कराम की इनती क़ब्रें हैं कि उनसे बहार भी जल उठे.'
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दीपा करमाकर ने भारत में जिम्नास्टिक्स को दिलाई थी पहचान, अब नई भूमिका की तलाश
देखते ही देखते उर्दू शायरी की पनीरी तैयार हो गई, जिन में शाकिर नाजी, नज़मउद्दीन अबूर, शदफ़उद्दीन मज़मून और शाह get more info हातिम वगैरा के नाम अहम हैं.
ये रामलीला बाकियों से है अलग, मुख्य रोल निभाते हैं ये मुस्लिम कलाकार; देखें बेहद खास है लखनऊ की रामलीला, अस्त्र-शस्त्र खींचते है लोगों का ध्यान म्यांमार में थिरी रामा, थाईलैंड में रमाकियेन और इंडोनेशिया में काकविन रामायण.
स्वायत्तता नहीं आर्थिक विकास पहली प्राथमिकता होनी चाहिए जम्मू-कश्मीर के बेहतर भविष्य के लिए
उनमें अदा रंग और सदा रंग सबसे नामी हैं जिन्होंने ख़्याल-तर्ज़-ए-गायकी को नया मुकाम दिया जो आज भी माना जाता है.
एडवर्टाइज विथ असप्राइवेसी पॉलिसीकॉन्टैक्ट अससेंड फीडबैकअबाउट असकरियर्स थीम
एक बार नाटिका जो शुरू हुई फिर तो मृदंग की थाप के साथ पैरों की चाप संतुलन बनाती जाती है और जैसे-जैसे उंगलियों में हलचल होती, आंखों की पुतलियां तक उसी इशारों में घूम जाती हैं. इनके साथ ही राग का सामंजस्य... भक्ति रस है तो राग पीलू और तिलंग. आह्लाद है तो भूपाली और खमाज, करुणा, वियोग और विषाद तो राग भैरव-भैरवी, जब जैसी प्रकृति तब वैसा राग और वैसे ही भाव.
छत्तीसगढ़ खेत में तैयार फसल चरने दबंगो ने छोड़ दिए मवेशी, रोकने पर किसानों को पीट-पीटकर किया लहूलुहान, एसपी ने दिए जांच के निर्देश
उसी दौर की दिल्ली में एक तरफ़ मीर दर्द की ख़ानक़ाह हैं, वही मीर दर जिन्हें आज भी उर्दू का सबसे बड़ा सूफ़ी शायर माना जाता है. उसी अहद में मीर हसन परवान चढ़े जिन की मसनवी 'सहर-उल-बयान' आज भी अपनी मिसाल आप है.
उसके कोठे के आगे अमीरों और प्रभावशाली लोगों के हाथियों का वो हुजूम होता था कि ट्रैफ़िक जाम हो जाता.